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नई दिल्ली | 28 जुलाई 2025 —
क्या आप सोचते हैं कि "लो-फैट योगर्ट", "शुगर-फ्री ड्रिंक" या "ऑर्गेनिक स्नैक बार" खाने से आपकी हेल्थ बेहतर होगी? अगर हां, तो ये रिपोर्ट आपके लिए जरूरी है। Breaking News के इस Exclusive Report में हम बता रहे हैं कि कैसे कुछ Latest Health Trends दरअसल आपकी सेहत को चुपचाप नुकसान पहुंचा रहे हैं—Expert Analysis के साथ।
आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में फिट दिखना एक नया स्टेटस सिंबल बन चुका है। कंपनियाँ इसी चाह को भुनाने के लिए फूड प्रोडक्ट्स को "हेल्दी" टैग के साथ बेच रही हैं। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सब सिर्फ मार्केटिंग का खेल है।
📌 हकीकत: “लो-फैट” का मतलब जरूरी नहीं कि हेल्दी
“जब फैट निकाला जाता है, तो टेस्ट बनाए रखने के लिए उसमें शुगर या आर्टिफिशियल स्वीटनर्स डाले जाते हैं,”
— डॉ. नीलिमा खन्ना, न्यूट्रिशनिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
"लो-फैट" योगर्ट में अक्सर ज्यादा मात्रा में शुगर या कॉर्न सिरप होता है जो वज़न बढ़ाने और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को न्योता देता है।
⚠️ “शुगर-फ्री” – मीठा झूठ?
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अधिकतर शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में एस्पार्टेम, सुक्रालोज़, और सैकेरिन जैसे कृत्रिम स्वीटनर होते हैं।
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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक सेवन करने से इनका असर मेटाबॉलिज़्म और हार्मोन बैलेंस पर पड़ता है।
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ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी में पाया गया कि शुगर-फ्री ड्रिंक्स लेने वालों में स्ट्रोक का खतरा 29% तक बढ़ सकता है।
🌿 “ऑर्गेनिक” टैग – हर बार भरोसेमंद नहीं
"ऑर्गेनिक" का मतलब यह नहीं कि वह प्रोडक्ट पूरी तरह कैमिकल-फ्री है।
“भारत में कई ऑर्गेनिक ब्रांड्स पर फुल ट्रेसबिलिटी नहीं होती। कई बार बिना सर्टिफिकेशन के भी ‘ऑर्गेनिक’ लिखा जाता है।”
— प्राची देशमुख, फूड सेफ्टी एक्सपर्ट, एफएसएसएआई
🧃 डिटॉक्स ड्रिंक्स और कोल्ड-प्रेस जूस – कितने हेल्दी?
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कोल्ड-प्रेस जूस जल्दी ऑक्सीडाइज़ होते हैं और उनमें फाइबर नहीं होता।
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अधिकतर डिटॉक्स ड्रिंक्स में जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी होती है और ये शुगर का छिपा हुआ स्रोत होते हैं।
✅ कैसे करें असली हेल्दी फूड की पहचान?
1. फूड लेबल ध्यान से पढ़ें:
शुगर, ट्रांस फैट, और प्रिज़र्वेटिव्स की जानकारी ज़रूरी है।
2. “कम इंग्रीडिएंट्स वाला” खाना चुनें:
जितना छोटा इंग्रीडिएंट लिस्ट, उतना बेहतर।
3. लोकल और सीजनल फूड्स पर भरोसा करें:
ताज़ा फल-सब्ज़ियाँ हमेशा पैकेज्ड फूड से बेहतर होती हैं।
📊 डेटा: भारत में हेल्दी फूड्स के नाम पर कितना खर्च?
साल | हेल्दी फूड मार्केट साइज (₹ करोड़) |
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2020 | ₹5,700 |
2023 | ₹9,500 |
2025* | ₹13,200 (*अनुमानित) |
(सोर्स: इंडिया फूड एंड बेवरेज ट्रेंड रिपोर्ट 2024)
🔍 निष्कर्ष
फिटनेस के नाम पर जो फूड्स आप खरीद रहे हैं, वे जरूरी नहीं कि आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हों। ये सिर्फ "हेल्दी" टैग वाले प्रोडक्ट्स हैं जो मनोवैज्ञानिक तौर पर आपको भरोसा दिलाते हैं—मगर असलियत अक्सर कुछ और होती है।
यह रिपोर्ट एक रिमाइंडर है कि हेल्थ किचन में बनती है, पैकेट्स में नहीं।