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साउथ ब्लॉक में सुबह की चाय अभी आधी ही खत्म हुई थी जब रक्षा मंत्रालय के गलियारों में एक सूचना ने खलबली मचा दी — भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर 'एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' यानी AMCA प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है।
यह सिर्फ एक तकनीकी ऐलान नहीं था। यह उस सपने की शुरुआत थी जिसे दशकों से भारत ने अपनी आंखों में संजोया था — एक ऐसा लड़ाकू विमान, जो पूरी तरह स्वदेशी हो, अत्याधुनिक हो, और दुनिया की 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स की कतार में मजबूती से खड़ा हो।
2035: जब भारत की हवा में गूंजेगा अपना ही रौब
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 2035 तक भारत का पहला AMCA स्क्वाड्रन वायुसेना में शामिल कर दिया जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) की अगुआई में एक विशाल संयुक्त प्रयास की योजना है। प्रोडक्शन पार्टनर के रूप में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियाँ भी शामिल होंगी।
"ये सिर्फ जेट नहीं है, ये भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक होगा," ADA के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।
क्या है AMCA? क्यों है ये खास?
AMCA, यानी Advanced Medium Combat Aircraft, न केवल 5th जनरेशन फाइटर जेट है बल्कि इसमें आगे चलकर 6th जनरेशन क्षमताओं को जोड़ने की भी तैयारी है। इसका डिजाइन रडार-एवेजिव (स्टील्थ), सुपरसोनिक क्रूज, इंटरनल वेपन बे और AI-पावर्ड एवियोनिक्स जैसी तकनीकों से लैस होगा।
मुख्य खूबियां:
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स्टील्थ डिज़ाइन जो दुश्मन के रडार से बच सके
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AI आधारित सेंसर फ्यूजन
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सुपरसोनिक सटीकता और लंबी रेंज
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मल्टी-रोल क्षमताएं — एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर
कौन बना रहा है भारत का ये फ्यूचर जेट?
इस प्रोजेक्ट में सबसे आगे है ADA, जिसने पहले तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान को सफलतापूर्वक विकसित किया। तेजस ने भारतीय वायुसेना को स्वदेशी तकनीक पर भरोसा करना सिखाया और AMCA उस भरोसे का अगला चरण है।
DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर कामत ने इस मौके पर कहा, "हम न केवल अपनी वायुसेना को आधुनिक बना रहे हैं, बल्कि दुनिया को दिखा रहे हैं कि भारत अब तकनीक के मामले में किसी से पीछे नहीं है।"
क्यों ज़रूरी है AMCA?
भारत के पास अभी राफेल, सुखोई-30, मिग-29 जैसे ताकतवर फाइटर हैं, लेकिन ये या तो विदेशी मूल के हैं या पुराने डिज़ाइन पर आधारित। चीन और अमेरिका पहले ही 5th जनरेशन स्टील्थ फाइटर में आगे हैं। चीन का J-20 और अमेरिका का F-35 दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं।
AMCA का विकास भारत के रक्षा स्वराज की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह भारत को न केवल सैन्य ताकत में बल्कि रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
क्या चुनौतियां होंगी?
AMCA को हकीकत में बदलना सिर्फ योजना बनाने से संभव नहीं होगा। इस राह में कई तकनीकी और रणनीतिक चुनौतियां हैं:
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इंजन: भारत अभी भी पूरी तरह स्वदेशी जेट इंजन तकनीक में आत्मनिर्भर नहीं है। GE या Safran जैसी कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर पर बातचीत चल रही है।
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फंडिंग: अनुमानित लागत 15,000 करोड़ से अधिक हो सकती है।
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टाइमलाइन: क्या भारत वाकई 2035 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर पाएगा? इतिहास बताता है कि रक्षा प्रोजेक्ट्स में देरी आम बात है।
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स्किल और मैनपावर: भारत को इंजीनियरिंग, डिजाइनिंग, मैटीरियल साइंस और एवियोनिक्स के क्षेत्र में दुनिया के साथ कदम मिलाना होगा।
एयरबेस पर क्या सोचते हैं पायलट?
गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर तैनात एक वरिष्ठ फाइटर पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अगर AMCA समय पर तैयार हो जाए, तो यह न केवल हमारे स्क्वॉड्रन की ताकत बढ़ाएगा बल्कि मनोबल को भी चार गुना कर देगा। अपने बनाए जेट को उड़ाने का गर्व ही कुछ और होता है।”
क्या कहती है दुनिया?
अमेरिकी मिलिट्री विश्लेषक जॉन स्पेंसर का कहना है, “भारत का AMCA प्रोजेक्ट दुनिया को दिखाएगा कि लोकतंत्र में भी जटिल रक्षा टेक्नोलॉजी विकसित की जा सकती है। ये चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है।”
जनता की प्रतिक्रिया
X (पूर्व में Twitter) पर #AMCA और #IndianAirForce ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा: “अब भारत सिर्फ राफेल पर निर्भर नहीं रहेगा, अब भारत अपना आसमान खुद बनाएगा।” वहीं एक और ने सवाल किया, “बस उम्मीद है ये प्रोजेक्ट तेजस की तरह सालों तक अटका नहीं रहेगा।”
एक नए युग की शुरुआत
भारत का AMCA केवल एक विमान नहीं है, यह उस सोच का विस्तार है जो आत्मनिर्भर भारत की नींव पर खड़ा है। यह सिर्फ तकनीकी नहीं, रणनीतिक भी है — एक स्पष्ट संकेत कि भारत अब रक्षा खरीददार नहीं, निर्माता बनने की राह पर है।
2035 अभी दूर है, लेकिन आज से उस दिशा में पहला कदम रखा गया है।
और कभी-कभी, पहला कदम ही सबसे बड़ा होता है।