नई दिल्ली — 40 की उम्र के बाद अगर तमाम कोशिशों के बावजूद आपका वजन घटने का नाम नहीं ले रहा, तो हो सकता है कि इसकी जड़ आपके हार्मोनल बदलावों में छिपी हो। विशेषज्ञों के मुताबिक यह पेरिमेनोपॉज़ (Perimenopause) का संकेत हो सकता है—एक ऐसा चरण जो महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है।
“हम कई बार इसे लाइफस्टाइल या डायट से जोड़ते हैं, लेकिन 40 के बाद अगर अचानक मेटाबॉलिज़्म स्लो हो रहा है या मूड में अत्यधिक उतार-चढ़ाव है, तो महिला को अपना हार्मोनल प्रोफाइल चेक करवाना चाहिए,” — डॉ. रंजना चौधरी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, एम्स दिल्ली।
क्या है पेरिमेनोपॉज़?
पेरिमेनोपॉज़ वह अवस्था है जो मेनोपॉज़ से पहले शुरू होती है और इसमें शरीर धीरे-धीरे हार्मोन—खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन—का निर्माण कम करने लगता है। यह आमतौर पर महिलाओं में 40-45 की उम्र के बीच शुरू होता है, लेकिन आजकल तनाव, खानपान और लाइफस्टाइल के कारण यह पहले भी शुरू हो सकता है।
पहचानें पेरिमेनोपॉज़ के शुरुआती लक्षण:
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वजन बढ़ना, खासकर पेट और जांघों के आसपास
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अनियमित पीरियड्स या हैवी ब्लीडिंग
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रात में पसीना आना या हॉट फ्लैशेज़
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मूड स्विंग्स, चिंता या डिप्रेशन
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नींद की कमी या बार-बार जागना
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चेहरे पर पिंपल्स या त्वचा में बदलाव
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थकान और एकाग्रता की कमी
Google Advertisement“यह सिर्फ एक हार्मोनल बदलाव नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली रिस्टार्ट का मौका होता है,” — डॉ. शालिनी मेहरा, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, मुंबई।
क्यों होता है इस दौरान वजन बढ़ना?
पेरिमेनोपॉज़ के दौरान शरीर का मेटाबॉलिज़्म स्लो हो जाता है और एस्ट्रोजन की कमी के कारण फैट बर्निंग प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके साथ ही इंसुलिन सेंसिटिविटी भी कम होती है, जिससे वजन तेजी से बढ़ सकता है—भले ही आप उतनी ही डाइट और एक्सरसाइज करें जितनी पहले करती थीं।
क्या करें? विशेषज्ञों की सलाह:
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रेगुलर एक्सरसाइज करें – कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों शामिल करें।
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डाइट में बदलाव लाएं – प्रोसेस्ड फूड्स से बचें, हाई-फाइबर और प्रोटीन रिच डाइट लें।
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योग और ध्यान – मूड स्विंग्स और नींद की समस्या में फायदेमंद।
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गाइनेकोलॉजिस्ट से नियमित जांच – हार्मोन टेस्ट्स और बोन डेंसिटी चेक ज़रूरी।
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नींद का ध्यान रखें – रोजाना 7-8 घंटे की क्वालिटी स्लीप जरूरी है।
भारत में महिलाओं में बढ़ती पेरिमेनोपॉज़ की समस्याएं
2023 में Indian Menopause Society की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 35% महिलाओं में पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण 40 से पहले ही दिखने लगे हैं। यह तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और वर्क-स्ट्रेस का परिणाम हो सकता है।
“महिलाओं को अपने शरीर की आवाज़ सुननी चाहिए। अनदेखी से आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे ओस्टियोपोरोसिस या हृदय रोग,” — डॉ. कविता श्रीवास्तव, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, बेंगलुरु।
निष्कर्ष:
अगर आप या आपकी किसी जानकार महिला को ऊपर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो इसे उम्र का सामान्य हिस्सा मानकर टालना नहीं चाहिए। पेरिमेनोपॉज़ कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा बदलाव है जो सही समय पर पहचाना जाए तो इससे निपटना पूरी तरह संभव है।